Thursday, May 12, 2022

मां शारदे वरदे, शरण हैं......


  • By योगेश थवाईत जशपुर

मां शारदे वरदे, शरण  हैं ,

अज्ञान तिमिर, भग्न अंतस्थल।।

रहा‌ न सूझ श्रेय-पथ अविचल,

मोह निशा व्यथित हैं पल पल ।।


माता कल्याणमयी पुत्र तव,

विलख रहे अज्ञान गहन  है।।

वीणा मौन है , पवन स्तब्ध है,

विपति विषम‌ है, मातु शरण दे।।


ज्ञान यज्ञ अभियान चले मां ,

" वसुधैव कुटुंबकम् " रीति रहे ,

क्षमता  ऐसी  देना  माता ,

" सर्वे सुखिन: सन्तु " लक्ष्य बने।।


वीणा के स्वर झंकृत हो मां ,

"नाद-योग" रस में रम जाएं।।

हृदय द्रवित हो , प्रभु उन्मुख हो। ,

जिमि सरिता सागर को धाए।।


माता ममतामयी विनय है ,

निज अंचल की छाया  देना।।

पथ दुरूह , मंजिल अबूझ है ,

कृपा-अनुग्रह- संबल देना ।।


" परोपकाराय सतां विभूतय: " ,

पाथेय दयामयि हम पाएं ।।

ब्रह्म-नाद में सम स्वर होकर ,

ब्रह्म- निलय के रस रंग जाएं।।

   योगेश थवाईत, जशपुर 

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