- By योगेश थवाईत जशपुर
मां शारदे वरदे, शरण हैं ,
अज्ञान तिमिर, भग्न अंतस्थल।।
रहा न सूझ श्रेय-पथ अविचल,
मोह निशा व्यथित हैं पल पल ।।
माता कल्याणमयी पुत्र तव,
विलख रहे अज्ञान गहन है।।
वीणा मौन है , पवन स्तब्ध है,
विपति विषम है, मातु शरण दे।।
ज्ञान यज्ञ अभियान चले मां ,
" वसुधैव कुटुंबकम् " रीति रहे ,
क्षमता ऐसी देना माता ,
" सर्वे सुखिन: सन्तु " लक्ष्य बने।।
वीणा के स्वर झंकृत हो मां ,
"नाद-योग" रस में रम जाएं।।
हृदय द्रवित हो , प्रभु उन्मुख हो। ,
जिमि सरिता सागर को धाए।।
माता ममतामयी विनय है ,
निज अंचल की छाया देना।।
पथ दुरूह , मंजिल अबूझ है ,
कृपा-अनुग्रह- संबल देना ।।
" परोपकाराय सतां विभूतय: " ,
पाथेय दयामयि हम पाएं ।।
ब्रह्म-नाद में सम स्वर होकर ,
ब्रह्म- निलय के रस रंग जाएं।।
योगेश थवाईत, जशपुर
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